Saturday, September 27, 2008

शादी से पहले कैसे मिलाएं गुण

(आज से हम गुण मेलापक कुंडली पर ज्योतिष सिद्धांत के जरिये जातकों को मेलापक विषय पर विस्तार से जानकारी उपलब्ध करा रहे है। उत्सुक गण इस विषय की गहराई में जाकर इसका लाभ उठ सकते हैं। प्रस्तुत है इसकी भूमिका..)
लव मैरिज करने वाले भी जन्म कुंडली मिलाने पर जोर दे रहे हैं, यह न केवल उनके लिए शुभ बात है, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए भी शुभ सोच है। इन दिनों फैमिली पंडित डॉट कॉम पर प्रेमी युगल कुछ ज्यादा ही रुचि ले रहे हैं। उनके द्वारा गुण मेलापक के बारे में जानने के लिए सैकड़ों की संख्या में मेल की गयी हैं।
अतः लोगों को यह बताना जरूरी हो गया है कि किस तरह गुण मेलापक चार्ट में नाड़ी दोष होने के बावजूद किस प्रकार उक्त दोष उन कुंडलियों पर लागू नहीं होता।
नाड़ी दोष का दुष्प्रभाव वर एव कन्या की प्रजनन शक्ति, स्वास्थ्य तथा आय़ु पर सीधा-सीधा पड़ता है। वर-वधु के समान जीन्स होने पर संतति पर स्पष्ट रूप से दुष्प्रभाव परिलक्षित माना जाता है। सामान्यतः गुणमेलापक चार्ट में विद्यमान नाड़ी दोष किन स्थितियों में अपना दुषप्रभाव नहीं छोड़ता, उन्हीं स्थितियों के बारे में ही यहां बताया जा रहा है।
योनि, गण एवं भकूट दोष का संतुलन ग्रह मैत्री होने से बना रहता है। चंद्र राशि के अधिपति (वर-वधु) जिस नवांश में हों, उन नवांश के अधिपति यदि आपस में मित्र हैं तो नाड़ी दोष शांत हो जाता है।
समान नक्षत्र होने से मेलापक चार्ट में नाड़ी दोष अंकित रहता है, परंतु ऐसा होने पर विभिन्न नक्षत्र चरणों में होने से तथा पद बाधा नहीं होने से नाड़ी दोष नहीं लगता। पद एक-तीन, दो-चार होने चाहिए। राशि एक होने पर तथा नक्षत्र अलग-अलग होने से नाड़ी दोष नहीं लगता।
राशि अलग होने से एवं नक्षत्र एक ही होने से नाड़ी दोष नहीं लगता। दोनों की चंद्र राशि का अधिपति एक होने से भी दोष का दुष्प्रभाव नहीं होता। राशि अलग-अलग हो, किंतु राशि स्वामी एक ही हो, तब भी दोष नहीं माना जाता।
गुण मेलापक कुंडली में नाड़ी दोष होने पर यदि राशि स्वामी शुभ ग्रह हो, जैसे गुरु, शुक्र, अंशानुसार चंद् और बुध हो तो नाड़ी दोष नहीं लगता। इसी प्रकार नाड़ी दोष उदासीन होने से अन्य दोष भी उदासीन हो जाते हैं।
गुण मेलापक पद्वति में जिन बातों का वर्णन है, वह आठ प्रकार की होती हैं तथा एक से आठ तक की संख्या के योग पर ऋषियों द्वारा 36 गुण निर्धारित किए गए हैं। ज्योतिष शास्त्र सूचनापरक पद्वति के आधाऱ पर पूर्व सूचना का आभास कराता है। विवाह के पहले वर-कन्या की जन्म कुंडली मिलान का आशय केवल परंपरा का निर्वाह नहीं है,यह भावी दंपत्ति के स्वभाव, गुण,प्यार तथा आचार व्यवहार के सबंध में ज्ञात कराने में सहायक होता है। जब तक समान आचार-विचार वाले वर-कन्या नहीं मिलते,तब तक मैरिज लाइफ सुखी नही हो सकती। जन्मपत्री में मेलापक पद्वति वर-कन्या के स्वभाव, रूप और गुणों को अभिव्यक्त करती है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह पद्वति विशुद्ध विज्ञान पर आधारित है।


आचार्य एल. डी शर्मा
सीनियर पैनलिस्ट
मोबाइल नंबर..919897073500
बेसिक-0565-2403623

1 comment:

Ambarish Kumar Sharma said...
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