Saturday, August 2, 2008

अब जो जन्मेंगे, होंगे काल सर्प से पीड़ित

Aug 01, 11:48 pm (Dainik Jagran)

मथुरा। अगले पांच महीने तक जो भी बालक जन्म लेंगे, उन्हें काल सर्प योग का दंश झेलना पड़ेगा। पूर्व जन्म के कर्म फलों के अनुसार पड़ने वाले इस योग के प्रति जागरुकता बढ़ने के बावजूद डिलीवरी मामलों में ज्योतिषीय सलाह मुताबिक भी इससे नहीं बचा जा सकेगा। ज्योतिष के आधार पर डिलीवरी कराने की प्रथा चल निकली है, मगर 23 जुलाई से गोचर में बने काल सर्प योग से बचना असंभव ही है। लिहाजा डिलीवरी मामलों में ज्योतिषी भी अब अन्य योगों का सहारा लेकर यजमानों की मंशा पूरी करने में लगे हैं। पिछले जन्मों में दूसरों के धन हड़पने, सर्प दोष तथा पितृ दोष से बनने वाला यह योग अगले दिसंबर माह के अंत तक चलेगा। जाहिर है इस अवधि में पैदा होने वाले बालक काल सर्प दोष से पीड़ित होंगे।

जीवन में भारी संघर्ष और उतार-चढ़ाव के बाद सफलता देने वाले इस योग की शांति का भी यह समय चल रहा है। नाग पंचमी पर मथुरा-वृंदावन में कई जातकों ने इसकी शांति करायी और कइयों ने जिंदा सांप जंगल में छुड़वाए और अगस्त माह की अमावस्या को भी वृंदावन में इसकी शांति के अनुष्ठान हो रहे हैं, लेकिन अब जो बालक जन्म लेंगे, उनके काल सर्प योग होना निश्चित है। ज्योतिषियों के मुताबिक इस समय कर्क राशि में केतु के साथ-साथ सूर्य, शुक्र, बुध, सिंह में शनि व मंगल, धनु में गुरु, मकर में राहू गति कर रहा है। आने वाले महीनों में भी कुछ ग्रह जो स्थान परिवर्तन करेंगे, लेकिन राहू-केतु से बाहर नहीं जा पाएंगे। ज्योतिर्विद आचार्य एलडी शर्मा व हरेंद्र पाल सिंह के मुताबिक वासुकी, कर्कोटक, महापद्म, तक्षक, शंखपाल, शेष नाग, पद्म, कुलिक, शंखनाद, अनंत, पातक व विषाक्त समेत 12 प्रकार के काल सर्प योग बनते हैं, जिनसे कुल 288 प्रकार से काल सर्प योग बन जाता है। हालांकि ज्योतिष शास्त्र में इसका कहीं-कहीं उल्लेख है, लेकिन दक्षिण भारत में इसकी पहचान काफी पहले कर ली गयी थी। इसके दुष्प्रभाव का अध्ययन करने के बाद उत्तर भारत में भी इसके बारे में जागरुकता बढ़ी है। उनके अनुसार इससे पीड़ित जातकों की अपनी जिंदगी नहीं होती। वे हमेशा दूसरों के लिए जीते हैं और भारी उतार-चढ़ाव व संघर्ष का जीवन भोगते हैं। आचार्य आदित्य कृष्ण के अनुसार पितृ शांति के लिए श्रीमद् भागवत तथा काल सर्प दोष की शांति न कराने पर यह योग पीढि़यों में ट्रांसफर होता रहता है। इसकी शांति के पश्चात कुंडली अपने नैसर्गिक प्रभाव को देने लगती है।

1 comment:

Internet Existence said...

very sad, but will be equally harmfull for all?