Tuesday, August 12, 2008

डरो नहीं यह चंद्र ग्रहण है

ग्रहण को लेकर इन दिनों मीडिया ने जनमानस में एक प्रकार से भय पैदा कर रखा है। तमाम न्यूज चैनल पर खबरों से ज्यादा ज्योतिष और धर्म बिक रहा है। एक अगस्त को सूर्य ग्रहण था तो अब 16-17 की रात्रि में चंद्र ग्रहण का योग पड़ रहा है। यह ठीक है कि शास्त्रों में ग्रहण के फल वर्णित हैं और हर राशि पर इसका विशेष असर पड़ता है, किंतु भयभीत कर देना कदापि ठीक नहीं कहा जा सकता। ऐसा विगत सालों में कई बार हुआ है, जब एक साल में अथवा एक पखवाड़े में दो-दो ग्रहण का योग पड़ा है।
यह एक प्राकृतिक घटना है। एक साल में इनकी संख्या औसत से ज्यादा होने पर ही अनिष्ट की आशंका करनी चाहिए। एक साल में अधिकतम दो चंद्र ग्रहण हो सकते हैं। हिंदी महीने में यानि अमावस्या से अमावस्या तक पहले चंद्र ग्रहण और फिर सूर्य ग्रहण पड़े तो अनहोनी की आशंका समझनी चाहिए, जबकि वर्तमान अगस्त माह में पहले सूर्य ग्रहण और अब चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। यह न तो किसी देश के लिए खराब है और न ही किसी राज्य के लिए।

सामूहिक प्रभाव
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फिर भी सूर्य ग्रहण कर्क राशि में और चंद्र ग्रहण कुंभ राशि में पड़ने से खाद्य पदार्थ में मंहगाई, उपद्रव, आगजनी, विस्फोट,
बुजुर्ग,चिकित्सक एवं सरकारी कर्मियों को परेशानी हो सकती हैं।

मेरा क्या होगा पंडित जी---------------
चंद्र ग्रहण मेष में शुभ,वृष, कन्या व वृशि्चक में मध्यम, मिथुन व तुला में अशुभ, कर्क व सिंह में दाम्पत्य कष्ट तथा धनु व मीन में दोनों प्रकार के फल और मकर व कुंभ राशि वालों को बड़े दुख देने वाला है।

क्या मुझे नहीं देखना है-----------------
हां। गभर्वती स्त्रियों, मानसिक परिश्रम करने वालों, रोगियों, रोडियो, क्रीमो थैरेपी कराने वाले मरीजों आदि को ग्रहण देखने से परहेज करना है।

तो मैं क्या करूं
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शुभ व मध्य प्रभाव वाली राशियों के जातक अपने इष्ट देवी-देवता के मंत्र जाप व हवन करें। यथा शिक्त दान दें। अशुभ प्रबाव वाले जातक अपने पंडित-पुरोहित व आचार्यों से मार्गदर्शन लेकर विशेष जाप व हवन करें। ग्रहों की प्रतिनिधि जड़ी-बूटियों से हवन करें। विशेष दान दें और चाहें फैमिली पंडित डॉट कॉम अथवा फैमिली पंडित डॉट ब्लागसपाट डॉट कॉम पर सवाल भेजें। जवाब फ्री मिलेगा।

एफपीसी टीम

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